लेखनी कहानी -24-Nov-2022 गरीबी के दशा
विषय-महंगाई की मार
शीर्षक-गरीब की दास्तां
महंगाई की मार, परिवार पर पड़ा भार,
भ्रष्टाचारियों का गहरा आधार,
गरीबों पर पड़ा इसका दुष्प्रभाव।
दो रोटी के लिए तरसता,
रात दिन वह सोचता,
कैसे भरू परिवार का पेट,
दिन रात करता विस्मय ।
सोच सोच कर आंखे हो गई काली,
रात बीत गई सुबह की किरण छाई,
गरीब को आज भी चिंता सताई,
बच्चों ने अपनी भूख जताई।
चारों तरफ है सब महंगा ही महंगा,
दिन रात कठिन परीश्रम करता,
2 आना लेकर घर आता,
बच्चों को पेट भर के खाना नहीं मिलता।
महंगाई ने रूप किया विकराल ,
सारे जहां में है भ्रष्टाचार,
सारे जहां में हाहाकार,
जनता का हो गया जीना हराम।
चारों तरफ मची है कोहराम,
बच्चों की पढ़ाई हो या विवाह ,
मस्तिक पर उभरती चिंताओं की रेखा।
दाल रोटी खाकर गरीब रहता मस्त
दाल ने भी दिखाया अपना अहम,
गरीब के घर में ये भी नहीं रुका आज।
लेखिका
प्रियंका भूतड़ा
नॉनस्टॉप प्रतियोगिता 2022 भाग-33
Sachin dev
25-Nov-2022 04:05 PM
बेहतरीन प्रदर्शन
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Gunjan Kamal
25-Nov-2022 01:34 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Reena yadav
25-Nov-2022 12:50 AM
बहुत खूब
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